लेखनी कहानी कैंसर -04-Feb-2023
"यह सब क्या है आनंद? क्या तुमने फिर से आरवी का दिल दुखाया। अभी मैंने उसे यहां से रोते हुए जाते देखा था। तुम उसे सच क्यूं नहीं बताते। कम से कम उसे रोज़ रोज़ दर्द तो नहीं मिलेगा। जो सच जानकर सिर्फ एक बार होगा।" देव ने आनंद को समझाते हुए कहा।
"मुझे भी यह सब करते हुए कौन सी खुशी मिलती है? मैं खुद बहुत मजबूर हो कर यह सब कर रहा हूं।" तुम क्या चाहते हो कि उसे जीवन भर इस दर्द के साथ जीना पड़े। चंद रोज़ का दर्द जीवन भर के दर्द से तो बेहतर ही है। बस यही सोचकर मैं यह सब कर रहा हूं।" आनंद ने नम आंखों से उसकी तरफ देखते हुए कहा तो देव की भी आंखें भर आईं।
"मुझे माफ कर दे यार, आरवी की आंखों में आसूं देख कर मुझसे रहा नहीं गया और सच जानते हुए भी मैंने वो सब कह दिया। शायद तुम सही कह रहे हो। आरवी की जिंदगी आगे बेहतर बनाने के लिए अभी उसे यह कड़वे घूंट पीने ही पड़ेंगे।" देव ने आनंद के कंधे पर हाथ रख कर कहा।
आनंद के कमरे से बाहर जाते समय देव की आंखों के आगे दोनों के बीच दो दिन पहले हुई वार्तालाप घूमने लगी।
किसी जरूरी पेपर पर आनंद के हस्ताक्षर लेने के लिए देव उसके कमरे में पहुंचा तो आनंद वहां नहीं था। उसकी टेबल पर एक फाइल पड़ी हुई थी। देव ने उस फ़ाइल को उठा कर पढ़ा तो सदमे से चक्कर खा कर पीछे दीवार से टकरा गया। तब तक आनंद कमरे में आ चुका था। देव की आंखों में नमी देख कर उसे पता चल गया कि देव ने वो फाइल पढ ली है।
"देव देख तुझे मेरी कसम है। इस फ़ाइल में लिखी हुई बात कभी भी बाहर नहीं आनी चाहिए। सभी की भलाई के लिए इसे छिपाना ही पड़ेगा।" आनंद ने देव को जोर से हिला कर होश में लाते हुए कहा।
"लेकिन कब तक इस सच्चाई को छिपा कर रखा जा सकता है। दो महीने बाद तो सच सबके सामने आ ही जाएगा। फिर तू क्या करेगा। लेकिन तुझे करना भी क्या होगा। जो भी करना होगा वो ही लोग करेंगे। तू तो तब बहुत मज़े से…….. देव इस कद्र टूट चुका था कि आगे के शब्द कहने से भी घबरा गया था। आनंद ने देव की हालत देख उसे गले से लगा लिया।
"लेकिन तुझे यह सब कब पता चला।" जहां तक मुझे याद है दो महीने पहले ही तेरी तबियत खराब हुई थी तब तू ?" देव ने हैरानी से आनंद की तरफ देखा तो उसने सहमति में सिर हिलाया।
"दो महीने पहले जब तबियत बिगड़ी हुई सी लग रही थी तो मैंने कुछ टैस्ट करवाए। उसी से पता चला था कि मुझे कैंसर है और वो भी आखिरी स्टेज पर। बस चार महीने का वक्त था मेरे पास। मेरे बाद मेरा बिजनेस और मेरे परिवार को तुझे ही सम्भालना पड़ेगा। वादा कर मुझसे कि तू यह जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभाएगा।" आनंद ने देव को जोर देकर कहा तो देव ने भी बिना झिझके वादा कर दिया।
"वो सब तो ठीक है मेरे भाई लेकिन तूने सोचा है कि इसके बाद आरवी का क्या होगा।" वो तुझे बहुत प्यार करती है।" देव ने आनंद को याद दिलाया।
"मैंने सब सोच लिया है। इन दो महीनों में मैं आरवी के दिल में अपने लिए इतनी गलतफहमियां पैदा कर दूंगा कि वो मेरे साये से भी नफरत करेगी।" आनंद ने दिल पर पत्थर रख कर कहा।
समाप्त
अदिति झा
06-Feb-2023 12:19 PM
Nice 👌
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डॉ. रामबली मिश्र
05-Feb-2023 09:37 PM
बहुत खूब
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Varsha_Upadhyay
05-Feb-2023 06:45 PM
Nice 👍🏼
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